Thursday, May 6, 2010

जो था, है


जो था, वह था ही नहीं रहता, है भी हो जाता है... 

जो नहीं था, वह भी है हो जाने को अकुलाता है



नया क्‍या है?
जो नया है, वह यहां है.

कहां मिलेगी?




3 comments:

सुशीला पुरी said...

'यहाँ'....'वहाँ'...सब जगह घूमकर आई , अच्छा लगा और आज के समय के कई चित्र मिले 'आलाप मे गिरह' मे .......बधाई ।

kala-waak.blogspot.in said...

bhai geet, sarjn me aapki upstahi ko kin aayamon me sanjovun...aap hi batayen?
Dr. Rajesh Kumar Vyas
www.purovak.blogspot.com

Alpana Verma said...

नया ..देखा ..फुर्सत से पढ़ने के लिए बेहतरीन सामग्री मिली.
यह चित्र बहुत अच्छा लगा..ऐसा लगा जैसे समय की प्रयोगशाला में एक 'था'...जो अब 'है' में परिवर्तित हो रहा है.
आभार.