Monday, June 28, 2010

दो नई किताबें और एक सरप्राइज़

शाम दोनों किताबें सावंत आंटी की लड़कियां और पिंक स्लिप डैडी छपकर हाथ में आ गईं. हैप्‍पी. मराठी के उपन्‍यासकार भालचंद्र नेमाड़े ने दोनों किताबों का लोकार्पण किया. नामवर सिंह और पंकज बिष्‍ट भी मौजूद थे. एक अच्‍छा अनुभव. ख़ुशनुमा अहसास. अपनी नई-नवेली, ताज़ा किताबों को छूना किसी भी लेखक को भावुक कर सकता है. और ये तो पहली किताबें हैं कहानी की, तो भला क्‍यों न हुआ जाए?


इन दोनों किताबों के साथ एक पुस्तिका भी. सबद पर अनुराग वत्‍स ने जो मेरा इंटरव्‍यू किया था, उसे राजकमल प्रकाशन ने पुस्तिका ‘सम्‍मुख : गीत चतुर्वेदी’ के रूप में प्रकाशित किया और इन्‍हीं दोनों के साथ उसका लोकार्पण भी हुआ. सबद पर इस इंटरव्‍यू के प्रकाशन के कुछ ही दिनों बाद राजकमल ने इसे पुस्तिका की तरह छापने का निर्णय लिया था. यह इंटरव्‍यू अनुराग की लंबी मेहनत है. और उनकी पहली प्रकाशित पुस्‍तक भी.  इसके लिए उन्‍हें ढेर सारी बधाइयां.




12 comments:

समर्थ वाशिष्ठ / Samartha Vashishtha said...

बधाई, बंधु! आज शाम मेरे लिए भी इस आयोजन में शामिल रहना यादगार रहा।

समर्थ वाशिष्ठ / Samartha Vashishtha said...

बधाई, बंधु! आज शाम मेरे लिए भी इस आयोजन में शामिल रहना यादगार रहा।

Vinay Kumar Vaidya said...

Congratulations !

सचिन श्रीवास्तव said...

बहुत बहुत बधाई गीत भाई।

AshutoshDubey said...

hardik badhai.

अजेय said...

बधाई !

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

Bahut-bahut badhai aur shubhkamnayen!

Geet Chaturvedi said...

बहुत शुक्रिया समर्थ, मुझे भी अच्‍छा लगा तुम्‍हारा वहां होना.
विजय जी, अजेय जी, आशुतोष जी, सचिन और विनय जी, आप सभी का शुक्रिया.

वर्षा said...

धीरैश सैनी के ब्लॉग पर किताबों के बारे में पढ़ा, यहां आवरण दिख गये। बधाई।

YOGENDRA AHUJA said...

Priy Geet Ji

Namaskar.

Bahut dinon se aapse sampark kar pane ke prayas mein tha. Aapka phone No. mere paas nahin tha. Koi zaria na mil pane ke karan man mein ashanti thee.

Bas yah kahne ke liye ki Dilli mein aapki kitabon ke lokarpan ke awsar par main nahin aa saka iska mujhe bahut dukh hai. Kshamaprarthee hoon. Aane ke liye taiyaar ho hi raha tha ki ek daftari mitra bina poorvsuchna ke aa panhuche. Unhein kisi gambheer mamle mein mujhse charcha karnee thee. Unhein taal pana mumkin na thaa, isliye chhatpata kar rah gaya.

Aassha hai aap iske liye mujhe kshama kar denge. Kitabon ke prakashan ke awasar par meri badhai aur shubhkamnayein kaboolein. Jaldi hi donon kitabein hasil kar padhunga aur aapse isee blog par charcha karunga.

Phir se bahut bahut badhai. Na aa pane kee mafee.

Aapka

YOGENDRA AHUJA

शरद कोकास said...

गीत जी दोनो पुस्तकों के लिये हार्दिक बधाई - शरद कोकास ,दुर्ग

Geet Chaturvedi said...

आप सभी का बहुत शुक्रिया. योगेंद्र जी, आपको अलग से मेल कर दिया था.