tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post1603196800163003536..comments2023-08-07T20:16:34.743+05:30Comments on वैतागवाड़ी: कवि मरता नहीं, वह अपना जीना स्थगित कर देता है...Geet Chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-58438962009640401892008-04-17T07:29:00.000+05:302008-04-17T07:29:00.000+05:30बहुत अच्छा लेख लिखा है। यह सच है कि तमाम कवितायें ...बहुत अच्छा लेख लिखा है। यह सच है कि तमाम कवितायें गहरे अवसाद में साथ देती हैं। बाबुराव बागुल<BR/>के बारे में जानकारी के साथ उनकी कोई कहानी पढ़वायें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-11099732965221999432008-04-17T02:21:00.000+05:302008-04-17T02:21:00.000+05:30संजय जी, अल्पना जी, सही बात है. रचनाकार अपने शब्दो...संजय जी, अल्पना जी, सही बात है. रचनाकार अपने शब्दों के बीच ही जीवित रहता है. अपने पाठकों के भीतर. ज़ीशान विकलांग थे. एक ने पूछा, लगातार पराश्रित रहना डिप्रेस नहीं करता ? जी़शान ने कहा- मुझे मेरी नज़्मों ने बचा रखा है, वरना ऐसे मौक़े बारहा आए. <BR/>ये डिप्रेशन कभी भीतर से आता है, तो कभी बाहर वाले हमले कर-करके आपके भीतर रोप जाते हैं. हमारे समय के कई लेखक-शायर ऐसे हमलों के शिकार हैं. न मैं इसका अपवाद हूं, न अंतिम आखेट. हां, ऐसे समय में शब्द ही बचाते हैं और पाठक ही. उदय प्रकाश जी ने तो ये बातें बहुत गहरे तक झेली हैं. उदय जी, शुक्रिया यहां आने का. ममता जी, योगेंद्र जी, उम्मीद है, यहां सस्नेह आते रहेंगे. ज़ीशान की कुछ नज़्में पोस्ट कर रहा हूं. ज़रूर पढि़एगा और योग्य लगे, तो कमेंट भी कीजिएगा.Geet Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-35749280154672942022008-04-16T21:25:00.000+05:302008-04-16T21:25:00.000+05:30वैतागवाड़ी पर बराबर ही आता हूं। बहुत ही जीवंत सामग्...वैतागवाड़ी पर बराबर ही आता हूं। बहुत ही जीवंत सामग्री मिल रही है पढने को। इस जीवंतता को बनाए रखें।योगेंद्र कृष्णा Yogendra Krishnahttps://www.blogger.com/profile/17366269677319716325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-54970006390444063872008-04-16T17:54:00.000+05:302008-04-16T17:54:00.000+05:30गीत जी आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ और पढ़कर...गीत जी आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ और पढ़कर अच्छा लगा।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-53964543545504741142008-04-16T13:43:00.000+05:302008-04-16T13:43:00.000+05:30बहुत ही अच्छा ब्लाग. अजमल कमाल के ही मेल से जीशान ...बहुत ही अच्छा ब्लाग. अजमल कमाल के ही मेल से जीशान के न रहने की दुखद खबर मिली. यह एक बडा आघात है. उनकी कविताएं अब और अधिक स्म्रितियों में गूंजती हैं.Uday Prakashhttps://www.blogger.com/profile/07587503029581457151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-34316443518976726612008-04-16T13:03:00.000+05:302008-04-16T13:03:00.000+05:30'जब भाषा को इतना चबा-चबाकर बोला जा रहा है कि वह पर...'जब भाषा को इतना चबा-चबाकर बोला जा रहा है कि वह पराई लगने लगती है''<BR/>क्या खूब कह गए आप गीत जी! सोलह आने सही...<BR/>और आप के इस लेख में दर्द छुपा है.जीशान साहब के इंतकाल पर हम सभी को दुःख है..<BR/>कोई भी रचनाकार कभी मरता कहाँ है--वह तो जिंदा रहता है हमेशा -अपनी रचनाओं में-Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-74626154589993318962008-04-16T08:56:00.000+05:302008-04-16T08:56:00.000+05:30गीत भाई हम पाठकों को कवि जीने का जज़्बा दे जाते हैं...गीत भाई हम पाठकों को कवि जीने का जज़्बा दे जाते हैं… दुनिया के तमाम मरियलपन में एक कविता का ही तो आसरा है…कवि जीते हैं हमारी अच्छाइयों में…नेकियों में और विचार में।चिल्लर कविताएं और उसके बाद आपका ये आलेख किसी कड्क नोट से कम है क्या…मन को मालामाल कर जाता है आपका लिखा।sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com