tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post2414199489538873644..comments2023-08-07T20:16:34.743+05:30Comments on वैतागवाड़ी: लाइब्रेरी में बूढ़ाGeet Chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-89249570856642088982008-06-10T16:16:00.000+05:302008-06-10T16:16:00.000+05:30गीत जीआश्चर्य है आप ब्लाग में लिखने के लिए समय निक...गीत जी<BR/>आश्चर्य है आप ब्लाग में लिखने के लिए समय निकाल लेते हैं। अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आना। मुझे निशिकांत ठकार जी का पता चाहिए मिल पाएगा। यदि संभव हॊ तॊ मेरी मदद करेंगे। विश्वास है अन्यथा नहीं लेंगे।<BR/>डा महेश परिमल<BR/>maheshparimal@yahoo.co.inAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-48901503394462034002008-06-10T16:10:00.000+05:302008-06-10T16:10:00.000+05:30गीत जीआश्चर्य है आप ब्लाग में लिखने के लिए समय निक...गीत जी<BR/>आश्चर्य है आप ब्लाग में लिखने के लिए समय निकाल लेते हैं। अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आना। मुझे निशिकांत ठकार जी का पता चाहिए मिल पाएगा। यदि संभव हॊ तॊ मेरी मदद करेंगे। विश्वास है अन्यथा नहीं लेंगे।<BR/>डा महेश परिमलDr. Mahesh Parimalhttps://www.blogger.com/profile/11819554031134854400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-24117901762120876922008-05-14T13:18:00.000+05:302008-05-14T13:18:00.000+05:30क्या बात है गीत बाबू! कलेजा निकालकर रख दिए। यह पीस...क्या बात है गीत बाबू! कलेजा निकालकर रख दिए। यह पीस पढ़कर तो आज मेरा दिन बन गया।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-62937145142889709472008-05-14T11:40:00.000+05:302008-05-14T11:40:00.000+05:30रचना सुंदर है, लेकिन शिल्प पुराने जमाने का, जैसे क...रचना सुंदर है, लेकिन शिल्प पुराने जमाने का, जैसे कोई एक सदी पहले का सिद्ध लेखक लिख रहा हो। <BR/>फिर भी बधाई।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-9525343876025988522008-05-14T11:27:00.000+05:302008-05-14T11:27:00.000+05:30किताबों का शोकगीत ?किताबों का शोकगीत ?Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-38585489146762184452008-05-14T10:54:00.000+05:302008-05-14T10:54:00.000+05:30बहुत साफ सीधे शब्दों में तल्ख़ बयानी...वाह. काश ये...बहुत साफ सीधे शब्दों में तल्ख़ बयानी...वाह. काश ये प्रगति के नाम पर हो रहा विध्वंश अब यहीं रुक जाए तो ना जाने कितने बूढों की रूहों को सुकून मिल जाए....<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-11534317926005566812008-05-14T00:33:00.000+05:302008-05-14T00:33:00.000+05:30कमाल की भाषा! वह बूढ़ा अब मेरे सपनों में आयेगा.कमाल की भाषा! वह बूढ़ा अब मेरे सपनों में आयेगा.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-25113197720787978542008-05-13T23:05:00.000+05:302008-05-13T23:05:00.000+05:30ऐसी ही एक लाइब्रेरी लुधियाना में है जिसे एक बुर्जग...ऐसी ही एक लाइब्रेरी लुधियाना में है जिसे एक बुर्जग ने बसाया है। मैंने एक बार लिखा था कि इस लाइब्रेरी की उम्र उतनी लम्बी है, जितनी की उस बुजुर्ग की| जल्द ही अपने ब्लाग के जरिए उस बुजुर्ग से आप सब को रूबरू करवाउंगा।Deep Jagdeephttps://www.blogger.com/profile/14695925764627099199noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-20005794531912414222008-05-13T20:50:00.000+05:302008-05-13T20:50:00.000+05:30बहुत खूब। हमारे समय के सच को बखूबी रेखांकित किया ह...बहुत खूब। हमारे समय के सच को बखूबी रेखांकित किया है आपने भाई गीत जी।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-63585411278141792712008-05-13T18:14:00.000+05:302008-05-13T18:14:00.000+05:30पढने वालों की बेरुखी से कितनी ही लाइब्रेरियाँ किता...पढने वालों की बेरुखी से कितनी ही लाइब्रेरियाँ किताबों की कब्रगाह बन गयी हैं।जिनके पास पैसा और पावर है, बे इन कब्रगाहों पर लोभ-लाभ का महल खड़ा करना चाहते हैं। किताबों के चाहनेवाले इतने कम(जोर) हैं कि हड़पने वालों को लगभग वाक-ओवर मिल रहा है। अंधेरे समय का शोकगीत है यह पोस्ट।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-9062311010151623102008-05-13T16:32:00.000+05:302008-05-13T16:32:00.000+05:30विधायक ने नहीं, ऐसे बूढ़ों को किताबों से दूर हो रह...विधायक ने नहीं, ऐसे बूढ़ों को किताबों से दूर हो रहे हम सब लोगों ने मिलकर जमीन के नीचे गाड दिया है । <BR/>झकझोर देने वाली पोस्ट है ये । हस्पतालों लाइब्रेरीयों पार्कों की ऐसी असंख्य जगहों को हडप लिया गया है । यही हमारे समय का सच है दोस्त ।SHESHhttps://www.blogger.com/profile/18359751422633976432noreply@blogger.com