tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post6208742271136058613..comments2023-08-07T20:16:34.743+05:30Comments on वैतागवाड़ी: वो छह कहानियांGeet Chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-44101481559550769992012-02-23T16:05:36.338+05:302012-02-23T16:05:36.338+05:30लगभग २ साल पहले हंस से मुझे सिर्फ सावंत आंटी की लड...लगभग २ साल पहले हंस से मुझे सिर्फ सावंत आंटी की लड़कियां समीक्षा के लिए मिली थी.तब अनेक अनुत्तरित प्रश्न मन में थे.सभी स्तर ओर धारणाएं समझ नहीं आई थी.उस समीक्षा को हंस ऑफिस ने कहीं खो दिया.संजीवजी ने दोनों कहानी संकलनों पर नए सिरे से लिखने को कहा.इस बीच फेसबुक पर गीत की रचनाओं पर कमेंट्स लिखने लगी थी.एक एक कहानी पर उनसे जमकर बहस और शंका निवारण के दौर चले.सतही तौर पर जो कुछ अटपटा लग रहा था गहराई में जाने पर वही अर्थपूर्ण लगा.इसके बाद मुझे समीक्षा करने के लिए दिमाग खुला छोड़कर कई अर्थों और स्तरों की तलाश करने की प्रेरणा भी मिली.मगर इतनी मेहनत बहुत कम पुस्तकों के लिए करनी पड़ती है क्योंकि आजकल विरले लेखक ही गीत जितनी गंभीरता से लिख रहे हैंsarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-74014916631309654412012-01-10T18:32:24.376+05:302012-01-10T18:32:24.376+05:30यहां आ कर बेहद अच्छा लगा। देरी से पुहचा मगर सहीं ...यहां आ कर बेहद अच्छा लगा। देरी से पुहचा मगर सहीं पंहुचा। इस पृष्ठ पर आ कर आनन्द आया।Roshan Vikshipthttp://roshanvikshipt.blogspot.comnoreply@blogger.com