tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post6460044423660980742..comments2023-08-07T20:16:34.743+05:30Comments on वैतागवाड़ी: वे आए तब उनके हाथों में थी बाइबल...Geet Chaturvedihttp://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-8269220502205310852011-12-26T19:26:43.422+05:302011-12-26T19:26:43.422+05:30Things Fall Apart by Chinua Achebe
Decolonising t...Things Fall Apart by Chinua Achebe<br /><br />Decolonising the Mind by Ngugi wa Thiong’o <br /><br />—ये दोनों किताबें <a href="http://multiworldindia.org/multiversity/multiversity-library/" rel="nofollow">इधर</a> लीजिए।सोनूhttps://www.blogger.com/profile/15174056220932402176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-4586605366482572932008-05-07T10:51:00.000+05:302008-05-07T10:51:00.000+05:30bahut dino se gumsudgi ke bad internet pr jb bramd...bahut dino se gumsudgi ke bad internet pr jb bramd hua to sbse pahle aapke blog pr hi aaya aur sari nyee posten padh gya...lajwab. bhujang pr aapko kuchh aur yaden yahan deni chahie...kuchh aur sathiyon ki bhi......aur han bhaiya aapki foto badi mast lg rhi hai....tadbhav ki kahani abhi padhi nhi hai...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12313797805658263500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-63344916497997682912008-05-06T17:24:00.000+05:302008-05-06T17:24:00.000+05:30सभी का धन्यवाद. विजय गौड़ जी और विजय शंकर भैयापहल ...सभी का धन्यवाद. <BR/>विजय गौड़ जी और विजय शंकर भैया<BR/>पहल में चंद्रकांत पाटील वाले लेख का जि़क्र पिछली पोस्ट में किया था. पाटील भुजंग के क़रीबी थे. उन्होंने और ठकार ने भुजंग की कविताओं के सबसे ज़्यादा अनुवाद किए. <BR/>लावण्या जी, सच में नाना पाटेकर और भुजंग की फितरत एक-सी लगती है. पहले कभी ध्यान नहीं गया इस तरफ़. शुक्रिया वैतागवाड़ी तक आने का.<BR/>आपके और रविकुमार जी के कहे मुताबिक़, और भी लिखूंगा इस दोस्त के बारे में. इसका व्यक्तित्व खुलेगा तो और अचरज होगा. बहुत ही प्यारा था वो. <BR/>नंदिनी जी, आपकी पंक्तियां अच्छी हैं. कभी पूरी कविता पढ़वाइए. <BR/>अबरार जी और पारुल जी का भी शुक्रिया. <BR/>दीपा जी, आपका विश्वास बना रहे, यह कोशिश हमेशा रहेगी.<BR/>वृंदावनी जी, दिल कभी-कभार ही खुल पाता है न. फिर भी कोशिश रहेगी. एक अच्छे कवि-मनुष्य की यादों में आप शामिल हुए, बहुत आभार.Geet Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/14811288029092583963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-2198564090628391432008-05-05T21:56:00.000+05:302008-05-05T21:56:00.000+05:30गीत जी, एक से एक शानदार चिट्ठों के लिए हार्दिक धन्...गीत जी, एक से एक शानदार चिट्ठों के लिए हार्दिक धन्यवाद। भुजंग मेश्राम और उनकी कविताओं के बारे में पहल में हाल ही में पढ़ा था। उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि आपके ब्लॉग पर हमें इसी तरह शानदार रचनाएं पढ़ने को मिलती रहेंगी।दीपा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/12130328147834660274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-24638778097003885232008-05-04T21:39:00.000+05:302008-05-04T21:39:00.000+05:30मराठी दलित कविता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर भुजंग मेश...मराठी दलित कविता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर भुजंग मेश्राम के बारे में लिख-बता कर तुमने बहुत अच्छी पहल की है. 'पहल ८७' अंक में कवि-विचारक निशिकांत ठकार ने उनकी ३ कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत किया है. उनमें यह कविता नहीं है. इसे यहाँ पढ़कर भुजंग के नए आयाम खुले.<BR/>इसी अंक में हिन्दी-मराठी के जाने-माने कवि-आलोचक-विचारक चंद्रकांत पाटिल ने भुजंग के व्यक्तित्व और कृतित्व को तीखेपन के साथ याद किया है. शीर्षक से ही ज़ाहिर है- 'समकालीन पीढ़ी ने भुजंग मेश्राम को बरबाद किया'. पाटिल लिखते हैं- <BR/>'ऊलगुलान' की अन्तिम कविता गोरमाटी बोली के बारे में और उसे बोलने वाले समूह के बारे में है. गोरमाटी बोली में लिखी और भुजंग का अपना मराठी अनुवाद भी साथ-साथ छपा है. कविता का अनुभव पाठक के भीतर पहुँच जाता है. उसमें छिपा यथार्थ बेहद बेचैन कर देने वाला है:<BR/><BR/>तुम लोग जंगली-जंगली कहते हो<BR/>और उसी समय कलात्मक भी- यह कैसे?<BR/>मेरी याडी चोली पर ऐने लगाती है<BR/>मैं बाप से तू-तेरी की भाषा में बोलता हूँ,<BR/>मेरे होठों पर आ जाते हैं कितने ही शब्दों के लौंडे...<BR/>तुम लोग इसे गालियों की संस्कृति कहते हो<BR/>तो बेशक कहो; लेकिन<BR/>चकमक चिंगारी जैसी मेरी गोरमाटी...<BR/>जला देती है आपकी धुंधली रुई को झरझर<BR/>'इसकी बहन की'<BR/>कैसे जला देती है यह आदमी को भीतर बाहर से!<BR/><BR/>इसकी माँ का पता कोई नहीं पूछता<BR/>आरूढ़ होकर लेकिन ज़रूर<BR/>दुःख उस पर होता है<BR/>फ़िदा!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-62404347735090166302008-05-04T18:59:00.000+05:302008-05-04T18:59:00.000+05:30Dear SirOnce I had met Bhujang Meshram during one ...Dear Sir<BR/>Once I had met Bhujang Meshram during one of my visits to Mumbai. I have read his works in "Poisioned Bread", an anthology of Marathi dalit writings. He was a great poet. "The Grandfather" was one one of his best works. His death is a big blow for Indian poetry.<BR/>Thank you very much for this article as it opens some new gullies to understand the poet what he was. Please write some more memoirs about Bhujang.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/10404387103810299418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-43118234996858111372008-05-04T18:20:00.000+05:302008-05-04T18:20:00.000+05:30ऐसा लगा मानोँ नाना पाटेकर "भुजँग " बनकर सामने, सजी...ऐसा लगा मानोँ <BR/>नाना पाटेकर "भुजँग " बनकर सामने, सजीव हो गये -<BR/>उनके बारे मेँ विस्तार से लिखेँ -<BR/> -- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-10829227233803326152008-05-04T13:19:00.000+05:302008-05-04T13:19:00.000+05:30post bahut munbhaayii..shukriyaapost bahut munbhaayii..shukriyaaपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-58122568756417369782008-05-04T02:41:00.000+05:302008-05-04T02:41:00.000+05:30acha hai. apne kitab ka ek panna khola hai. dil ki...acha hai. apne kitab ka ek panna khola hai. dil ki kitab k panne aur kholiye,khas kar vo panne jin par apne dil ki kalam se likha hai. <BR/>vrindavaniAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-73654476175220914832008-05-04T00:07:00.000+05:302008-05-04T00:07:00.000+05:30गीत जी आपके बारे में सुना तो बहुत था। आज जब ब्लागव...गीत जी आपके बारे में सुना तो बहुत था। आज जब ब्लागवाणी की सैर पर था तो आपकी पोस्ट पर नजर गई। बस यह सोच कर वैतागवाडी पहुंचा कि देखते हैं क्या है। पहली नजर में तो ऐसा लगा कि यह पोस्ट लंबी है और अपने पास इतना समय कहां। पर सोचा देख लेते हैं लिखा क्या है। पर जब एक बार पढना शुरू किया तो सच मानिए पढता ही चला गया। आपकी शैली गजब की है। हां आपके मित्र भुजंग जी वाकई में जैसा आपने लिखा है मस्तमौला छवि वाले हैं। हां उनकी गंभीरता उनकी कविता में साफ झलकती है। जिस बात को वह अपनी कविता के माध्यम से कहना चाहते हैं वह वाकई में बहुत गहरी है और उस बात को समझने की जरूरत है। एक अच्छे और साफ दिल इंसाने से परिचय करवाने के लिए आपको बधाई।अबरार अहमदhttps://www.blogger.com/profile/12726552973041941822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-782640702921363295.post-80682549470892448982008-05-03T21:31:00.000+05:302008-05-03T21:31:00.000+05:30अच्छा संस्मरण है. इससे पहले "पहल" में भी भुजंग मेश...अच्छा संस्मरण है. इससे पहले "पहल" में भी भुजंग मेश्राम पर चंद्रकांत पाटिल जी का संस्मरण पढा था,भुजंग मेश्राम को समझने के लिये दोनों ही महत्वपूर्ण है.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.com