तुमने कहा था कि तुम पेड़ इसलिए नहीं हो
कि तुमने कभी पत्ते नहीं पहने
फिर भी मैं तुम्हारी छांव में बैठा
और तुम्हारे पत्तों से ढंका अंधेरा देखा
मैं तुम्हारी तस्वीर कभी नहीं बना सकता
कुछ आकार मैंने इससे पहले कभी नहीं जाने
इतने ज़्यादा कोण मिल जाएं
तो सिर्फ़ वृत्त बनता है
जो हमने साथ गुज़ारा
इस पूरे दिन को भविष्य में प्रवेश के लिए
एक छद्म नाम चाहिए होगा
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हम अपनी देह एक-दूसरे से छिपा ले जाएंगे
किसी दिन हम अपने शब्दों से बनाएंगे
एक-दूसरे का रूप
और बिना बताए अपने पास रख लेंगे
जो मैंने तुम्हारे कानों तक नहीं भेजी
एक दिन तुम्हारे पास अपनी कोई देह न होगी
सिर से पांव तक मेरी लहराती हुई फुसफुसाहट होगी वह देह
मेरी आवाज़ की गूंज से बनी मीनार होगी तुम्हारी आत्मा
हम कभी नहीं मिले फिर भी
जो हमने साथ गुज़ारा
इस पूरे दिन को भविष्य में प्रवेश के लिए
भविष्य की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी
जैसे तुममें समाने के लिए तुम्हारी ज़रूरत भी कहां पड़ी थी मुझे
इस धरती पर तुम कहीं नहीं रहती, सिवाय मेरी बातों के
और मैं भी कहीं नहीं हूं सिवाय तुम्हारी बातों के
हम दोनों ने ही घर बदल लिया है.
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