कुछ लोग एकदम ही उल्टा रास्ता पकड़ते हुए, सबसे पहले यही तय करते थे कि किस तरह सारी बेकार किताबों को ठिकाने लगा दिया जाए. वे छह दीवारों वाले कमरों पर आक्रमण कर देते थे और अपनी पहचान इस तरह दिखाते थे, जो हमेशा झूठ नहीं हुआ करती थीं, नाक-भौं सिकोड़ते हुए किसी किताब का एकाध पन्ना पलट लेते थे और फिर किताबों से भरी पूरी दीवार की निंदा किया करते थे.
बाबा बोर्हेस
द लाइब्रेरी ऑफ़ बैबल, 1941.