एडम ज़गायेवस्की की एक और कविता
कंप्यूटर, पेंसिल और एक टाइप राइटर के बीच
गुज़र जाता है मेरा आधा दिन। एक दिन गुज़र जाएगी आधी सदी।
मैं एक अजनबी शहर में रहता हूं और कई बार
अजनबियों से ऐसे मुद्दों पर बात करता हूं जो ख़ुद मेरे लिए अजीब होते हैं।
मैं संगीत बहुत सुनता हूं : बाख़, मालर, शोपां, शोस्ताकोविच।
मैं संगीत में तीन चीज़ें देखता हूं : कमज़ोरी, ताक़त और दर्द।
चौथी चीज़ का कोई नाम नहीं।
मैं जीवित या मर चुके कवियों को पढ़ता हूं जो मुझे सिखाते हैं
दृढ़ता, आस्था और गौरव। मैं बड़े दार्शनिकों को
समझने की कोशिश करता हूं- लेकिन अमूमन उनके
बेशक़ीमती विचारों की खुरचन तक ही पहुंच पाता।
मुझे पेरिस की गलियों में देर तक चलना पसंद है
और साथ के लोगों को देखना जो ईर्ष्या
क्रोध और अनगिनत इच्छाओं के कारण रफ़्तार बढ़ा लेते हैं
चांदी के सिक्के को देखना
जो एक हाथ से दूसरे हाथ में जाता है और धीरे-धीरे
अपना गोल आकार खो देता है (उस पर से मिट जाता है सम्राट का चेहरा)
पास ही होते हैं पेड़ जो कुछ कहते नहीं
सिवाय हरियाली के, अद्वितीय संपूर्णता में
काली चिडि़यां नाप लेती हैं खेतों को
स्पैनी विधवाओं की तरह सब्र से करती हैं किसी का इंतज़ार
मैं अब जवान नहीं रहा, लेकिन कोई हमेशा मुझसे उम्र में बड़ा रहा
मुझे पसंद है गहरी नींद, जब लेता हूं अपने अस्तित्व से विराम
गांव की सड़कों पर तेज़ रफ़्तार में चलाना मोटरसाइकिल
जब खिले हुए दिनों में काले पीपल और मकान ऊंचे होकर घुल जाते हैं आसमान में
म्यूजि़यम में कभी-कभार पेंटिंग्स मुझसे बात करती हैं
और विडंबनाएं अचानक खो जाती हैं ।
मुझे पसंद है निहारना पत्नी का चेहरा।
हर रविवार फ़ोन करता हूं पिता को।
हर दूसरे हफ़्ते मिलता हूं दोस्तों से
और इस तरह जताता हूं वफ़ादारी।
मेरे देश ने ख़ुद को एक दानव से मुक्त कर लिया। मैं सोचता हूं
दूसरी आज़ादी भी मिले जल्द ही।
मैं इस बारे में कुछ कर सकता हूं ? मुझे नहीं पता।
यक़ीनन मैं समंदर का बेटा नहीं
जैसा कि अंतोनियो मचादो ने अपने बारे में लिखा है
लेकिन बेटा हूं हवा, पुदीने और संगीत के साज़ों का
ऊंची दुनिया के सारे रास्ते नहीं कटते
चौराहों की तरह मेरी जिंदगी के रास्तों से
मेरी जिंदगी जो अब तक मेरी ही है