कुछ लोग एकदम ही उल्टा रास्ता पकड़ते हुए, सबसे पहले यही तय करते थे कि किस तरह सारी बेकार किताबों को ठिकाने लगा दिया जाए. वे छह दीवारों वाले कमरों पर आक्रमण कर देते थे और अपनी पहचान इस तरह दिखाते थे, जो हमेशा झूठ नहीं हुआ करती थीं, नाक-भौं सिकोड़ते हुए किसी किताब का एकाध पन्ना पलट लेते थे और फिर किताबों से भरी पूरी दीवार की निंदा किया करते थे.
बाबा बोर्हेस
द लाइब्रेरी ऑफ़ बैबल, 1941.
3 comments:
"Literature is not exhaustible, for the sufficient and simple reason that a single book is not. A book is not an isolated entity: it is a narration, an axis of innumerable narrations. One literature differs from another, either before or after it, not so much because of the text as for the manner in which it is read."
[Jorge Louis Borges. Other Inquisitions.]
बहुत खूब ।
भौतिक सुविधाओं की चाह रहने वालों को पुस्तकें क्यों कर स्वीकार हों?
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