Saturday, December 8, 2012

कवि जहां से देखता है, दरअसल, वह वहीं रहता है





आपके टिकने की जगह या 'पोजीशन' का सवाल, लेखन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। फ़र्ज़ कीजिए, हम पांच कवियों को एक गुलाब या एक लाश देते हैं और उस पर लिखने के लिए कहते हैं। जिस 'पोजीशन' से वे उस पर लिखेंगे, वही 'पोजीशन' उन्हें एक-दूसरे से अलग करेगी। कुछ लोग इसे 'एक लेखक द्वारा अपनी आवाज़ पा लेना' कहते हैं। अपनी पोजीशन पाने में बहुत समय लगता है और मेरा मानना है कि लेखन में यही बुनियादी चुनौती भी है। एक बार आपने अपनी पोजीशन पा ली, लेखन अपने आप खुलने लगता है, हालांकि उस समय नई चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। मेरी कविताओं के मामले में बेचैनी यही थी कि इस दहलीज़ वाली पोजीशन से अरबी भाषा में कविता कैसे लिखी जाए।

आज मैं इस पूरी यात्रा का वर्णन कर पा रही हूं, लेकिन उस समय तो मैं उस बेचैनी को साधारण तौर पर निराशा ही मान लेती थी।
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ईमान मर्सल अरबी की श्रेष्‍ठतम कवियों में से एक हैं. उनकी तीस कविताओं का अनुवाद और कविता पर लिखा उनका गद्य पढ़ने के लिए यहां जा सकते हैं.

सबद पुस्तिका 8 - ईमान मर्सल की कविताएं

इधर किए गए कामों में इन कविताओं का अनुवाद करना बहुत संतोषजनक अनुभव रहा.


4 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

शानदार लिंक दिया आपने..आभार।

‘सज्जन’ धर्मेन्द्र said...

अभी जाकर पढ़ता हूँ।

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर....
खास तौर पर पिता के लिए लिखी कवितायें...
आभार इस अनमोल पोस्ट के लिए..

अनु

Pratibha Katiyar said...

Kai baar padha...sundar!