Wednesday, September 16, 2009

तू ही है क्‍या काबे में... सच्‍ची बता


3 comments:

ओम आर्य said...

गुलजार द्वारा लिखी गई और रेखा भारद्वाज की आवाज मे यह गाना बेहद रुहानी लगती है.........आपकी तस्वीर भी कुछ् ऐसी ही बात बयाँ कर रही है!

डॉ .अनुराग said...

अद्भुत .....बड़े दिनों बाद आप आये ......ओर आमद सुखद है

girirajk said...

Frida Kahlo kaa kaam mujhe bahut priya hai. Un par likhi Gagan Gill kee kavitayen bhee. Salma Hayek wali film thoda kam. Par combination achchha hai, baithe-thaale zayda badhiya kaam ho jaata hai :)