Thursday, November 26, 2009

वर्मीर

यान वर्मीर की पेंटिंग और एडम ज़गायेवस्‍की की कविता



वर्मीर की नन्‍ही लड़की जो अब काफ़ी प्रसिद्ध हो गई है
मुझे देखती है. एक मोती देखता है मुझे.
वर्मीर की नन्‍ही लड़की के होंठ
सुर्ख़, नम और चमकीले हैं

ओह वर्मीर की नन्‍ही लड़की, ओह मोती
नीली पगड़ी : तुम पूरी तरह रोशनी हो
और मैं बना परछाइयों से
रोशनी नीचे देखती है परछाई को
पुरखों की तरह, शायद तरस खाते हुए.

***

7 comments:

प्रदीप कांत said...

Sundar ...

anurag vats said...

एडम ज़गायेवस्‍की ki doosri kai kavitayen aapko yahan deni hai, kahyal rahe...

रवि कुमार, रावतभाटा said...

रोशनी नीचे देखती है परछाई को
पुरखों की तरह, शायद तरस खाते हुए.

बेहतर...अच्छा लगा...
धन्यवाद...

abcd said...

क्या यहाँ पर परछाई का मतलब PAST और रौशनी का मतलब FUTURE से है??

प्रदीप जिलवाने said...

पेंटिंग, कविता और कविता का अनुवाद तीनों ही अच्‍छे हैं.

Geet Chaturvedi said...

अमित,
इसे उल्‍टा भी पढ़ सकते हैं- रोशनी मतलब पास्‍ट और परछाई को वृहत्‍तर वर्तमान से जोड़ते.

abcd said...

केवल Face Value पर मत जाओ,
उलट पलट के देखो,
हर सिक्के के दो पहलु होते है,
ये जो सीडियां नीचे से ऊपर जाती है वो ऊपर से नीचे भी आती है
---आप ने बताया गीत भाई.