Monday, June 21, 2010

नया



इधर एक इंटरव्‍यू हुआ है, जो सबद पर लगा है. अनुराग की लंबी मेहनत है,  उसे यहां देख सकते हैं.



आशुतोष भारद्वाज ने एक सुंदर विश्‍लेषण किया है उभयचर का. और उन गलियों पर बात की है, जिधर लोग कम ही गए. इसे यहां पढ़ सकते हैं और यहां भी.

3 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

बहुत अच्छा ...बहुत सुखद है भैये ये सभी कुछ....अभी परिकथा में राजेश जोशी और परमानंद श्रीवास्तव के इंटरव्यू पढ़े....और फिर तुम्हारा .....क्या नई पीढी सचमुच विचारहीन है...क्या वे तुम्हारा इंटरव्यू पढ़ पाएंगे....

Geet Chaturvedi said...

बहुत शुक्रिया, शिरीष.
पीढि़यों का क्‍या कहें. बक़ौल ग़ालिब, कोई हमें सताये क्‍यों...

Ashutosh Dubey said...

hardik badhai.