Monday, June 16, 2008

बिना पैर फैलाए सोना, बिना सिर उठाए जीना...

ज़ीशान साहिल की कुछ और कविताएं यहां पेश हैं. उनके बारे में पहले भी लिखा है. पुराने लिंक्‍स यहां हैं. ज़ीशान साहिल - परिचय और कुछ नज़्में .

प्‍यार
लड़कियों के लिए
प्‍यार करना उतना ही मुश्किल है
जितना किसी पेड़ के तने पर बैठकर
पहाड़ी नदी को पार करना
या सुखाना
किसी गीले काग़ज़ को

थोड़ी कोशिश करें
तो ये सब चीज़ें की जा सकती हैं
लड़कियां तो अपनी नोटबुक में
किसी का नाम तक नहीं लिखतीं

ऐसा कौन होगा जिसे
किसी का नाम पता हो
और वह उसे
कहीं लिखे न

मैं भी जानता हूं
एक लड़की का नाम.

चारदीवारी
हम जहां रहते हैं
आप उसे घर कह सकते हैं-
एक बहुत ऊंचे कमरे के ऊपर
एक बहुत नीची छत
एक बहुत बड़ी खिड़की
और एक बहुत छोटा दरवाज़ा

आप इस दरवाज़े से गुज़र सकते हैं
छाती पर बांधकर अपनी बांहें
बिना ज़मीन से क़दम उठाए

आप इस खिड़की से बाहर देख सकते हैं
एक बहुत ऊंचे कमरे में
एक बहुत नीची छत के नीचे

आप चाहें
तो बिना पैर फैलाए सो सकते हैं
बिना सिर उठाए जी सकते हैं.

जनरल की नाक
जनरल साहब
रोज़ अलस्‍सुबह
ठंडे पानी से स्‍नान करते हैं
और तैयार होने की शुरुआत करते हैं
अपनी पोशाक पहनते हुए
वह सीधे बग़ीचे की ओर जाते हैं
उन्‍हें बहुत पसंद है
ताज़ा हवा और खिलते हुए फूल

वह दिन बहुत ख़राब गुज़रा
जब सोलह सिपाही
चार सार्जेंट और दो कप्‍तानों को
कोर्ट मार्शल का फ़ैसला सुनना पड़ा
और माली को भी कोई
बख़्शा तो नहीं गया

उस दिन जनरल साहब ने
अपने बूट के नीचे कुचल दी एक कली
कहते हुए कि इससे ख़ुशबू नहीं आती

हमें बाद में पता चला
कि कुछ समय से
जनरल साहब की नाक बंद है.

10 comments:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ज़ीशान साहिलजी से परिचय करवाने का शुक्रिया..
-लावण्या

अमिताभ मीत said...

कमाल की रचनाएं हैं भाई. बहुत आभार इन्हें हम तक पहुंचाने का और ज़ीशान साहब को सलाम.

vijaymaudgill said...

क्या बात है जी, मज़ा आ गया पढ़कर

ऐसा कौन होगा जिसे
किसी का नाम पता हो
और वह उसे
कहीं लिखे न

मैं भी जानता हूं
एक लड़की का नाम.
------------


आप चाहें
तो बिना पैर फैलाए सो सकते हैं
बिना सिर उठाए जी सकते हैं.

------------

और जो जनरल साहब पर कटाक्ष किया गया है। मज़ा गया पढ़कर

ज़ीशान जी को पढ़ाने के लिए आपका बहुत-2 आभार
हर कविता अपने समय का एक संदेश छोड़ती है।

Udan Tashtari said...

आभार इन कविताओं को प्रस्तुत करने का.

art said...

आभार

Nandini said...

मैं भी जानता हूं
एक लड़की का नाम.

बहुत प्‍यारी नजम है....

sanjay patel said...

गीत भाई;
क्या ज़ालिम ज़ुकाम है जनरल साहब का.
वल्लाह !

योगेंद्र कृष्णा Yogendra Krishna said...

गज़ब की भ्रामक सादगी और सहजता है गीत भाई इन कविताओं में।
ज़ीशान साहिल को मेर नमन और आपको साधुवाद।

आर.के.सेठी said...

bahut badia...

Anonymous said...

आभार इन कविताओं के लिए श्रीमान जी आपका