जापानी कविता पढ़ चुके लोगों के लिए काज़ुको शिराइशी नाम नया नहीं होगा. 1931 में कनाडा के वैंकूवर में जन्मी शिराइशी को मां-बाप द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक पहले जापान ले गए. सत्रह की उम्र से कविताएं लिखनी शुरू कीं. कविताएं एलेन गिंसबर्ग से गहरे तक प्रभावित. 'न्यू डायरेक्शंस' से छपे इनके संग्रह के बैक कवर पर टिप्पणी में इन्हें 'जापान की एलेन गिंसबर्ग' कहा गया है.
1973 में आयोवा यूनिवर्सिटी के राइटिंग प्रोग्राम में एक साल तक रहने के बाद उनकी कविता में कई बदलाव आए. 78 में 'सीज़न्स ऑफ सैक्रेड लस्ट' छपकर आया, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर दिया. उनकी कविताएं गहरे अमूर्तन की कविताएं हैं, भीतर के संघर्षों की. कविता के भीतर जीवन के एक नए दर्शन की तलाश. मार्च 88 में वह भारत भवन में हुए 'कविता एशिया' के लिए भोपाल आई थीं.
वह आदमी कभी नहीं रुकेगा
पता नहीं कब से भागना शुरू किया है उसने
अभी एक पल को किसी इमारत की खिड़की से
झांक रहा था उसका सिर वह दीवार पर दौड़ता है
वह सड़क पर दौड़ता है
सड़क जब समंदर में जाकर ख़त्म हो जाती है
वह पानी पर दौड़ने लगता है ये जो आदमी दौड़ता जाता है दौड़ता जाता है
और जो कभी रुकेगा नहीं
उसे रखती हूं मैं
अपनी कॉपियों में
अपनी दराज़ में
अपने अंधेरे में
और मरते रहते हैं मेरे दिन
और ख़त्म नहीं होतीं मेरी रातें.
चल रहे थे रहस्य से भरे एक क़स्बे की अंधेरी गली में
बारिश. बेहद ठंडा मौसम.
हमारे पास रेनकोट थे और एक काला छाता.
कितनी तेज़ी से झोंका ख़ुद को टैक्सी पकड़ लेने के लिए
कोई मतलब नहीं, वे रुकी ही नहीं
अंतत: हमने पैदल चलना शुरू किया
भीगे हुए भीतर तक कस कर चिपके हुए
और सोचते रहे भविष्य ने कैसे दिन छिपा रखे हैं हमारे वास्ते
हालांकि मैंने
उस गर्म होटल, ताप को साझा करती हमारी देह
बेशुमार शब्दों और प्यार के तरीक़ों के बारे में
कभी कुछ याद नहीं किया.
फुटबॉल का खिलाड़ी
एक रोज़
उसने किक मारकर प्यार को ऊपर आसमान में पहुंचा दिया
वह वहीं रह गया
चूंकि वह कभी नीचे नहीं आया
लोगों को लगा यह सूरज है
या चांद या फिर कोई नया सितारा
मेरे भीतर एक गेंद है
जो कभी नीचे नहीं आती
लटकी रहती है आसमान के बीचोबीच
आप देख सकते हैं उसे लपट बनते हुए
प्यार या सितारा बनते हुए
मैंने कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूं
तुमने जवाब दिया- मैं तुमसे प्यार करता हूं
मैंने कहा- मैं नफ़रत करती हूं तुमसे
तुमने जवाब दिया- मैं नफ़रत करता हूं तुमसे
मैंने पूछा- अब हम अलग हो जाएं क्या?
तुम तोता ही रहे हमेशा
दोहराते रहे मेरे शब्दों को जस का तस
इसीलिए ऐसा आया एक समय
जब हमें तलाक़ लेना पड़ा.
(सारी कविताएं 'सीज़न्स ऑफ सैक्रेड लस्ट' से)
17 comments:
प्रेम को परिभाषित करती
आखिरी कविता ने तोता रटंत
ज़िंदगी के नासमझ दोहराव का
खुलासा कुछ इस तरह किया है कि
कहना ही पड़ेगा....वाह !.....शुक्रिया.
==============================
डॉ.चन्द्रकुमार jain
Videshi Se Fursat Milay Toh Kabhee Hindi Kavita Bhi Padh Liya Kariye
वह टालेगा
समकालीनों पर नहीं देगा अपनी राय
विदेशी कवियों के बारे में बताएगा हर वक्त
Kisee Kavi ne Aap Jaison Ke Liye Hi Kaha Tha
maine inki kavitayen purwagrah men padhi thi...somdattji ke anuwad men...yahan kuch aur kavitayen padhkar khushi hui...
शुक्रिया बेनामी जी. राजेश जोशी की ये पंक्तियां मुझे बहुत प्रिय हैं. हिंदी कविताएं भी पढ़ूंगा, आप कवियों की लिस्ट भेज दीजिए.
sir :: kawitaaein jitnee sundar hain utna hee vazandaar aapka anuvaad. dono ne apnii gahrii chaap chodii hain.
piyush daiya
अनुवाद के ज़रिये ही सही देश विदेश की अच्छी कवितायें पढने को मिलती रहती हैं. यह तो अच्छा हुआ कि आपने विदेशी कवियों पर भी ध्यान दिया. आपके प्रयास से हम लाभान्वित हुवे. अनुदित कविता में एक लय दीखी जिसके आधार पर कह सकता हूँ कि अनुवाद बहुत अच्छा हुआ है. इसके लिए बधाई. आशा करता हूँ कि भविष्य में भी कई विदेशी कवियों की कविताओं से आप हमें परिचित कराएँगे.
तुषार धवल
गीत, इन अज्ञातनामधारियों की बातों पर ध्यान दोगे तो हमारे लिए अच्छी अनूदित चीजें नहीं दे पाअोगे।
मैंने इस जापानी कवयित्री की ये कविताएं पहली बार पढ़ीं और उसका भरपूर आस्वाद लिया। सभी कविताएं दोबारा-तिबारा पढ़ीं।
तुम्हें बधाई और शुभकामनाएं।
हिंदी की कविताएं पढने के लिए ब्लॉग की दुनियां में कई ठिकाने हैं लेकिन विदेशी कविताए वो भी स्तरीय अनुवाद के रूप में गिनी-चुनी जगहों पर ही उपलब्ध हैं और गीत का ब्लॉग उनमें से एक है। अनुवाद जैसे श्रमसाध्य काम के जरिए गीत हमें अनजानी संस्कृतियों की बानगियां दिखा रहे हैं तो बजाय धन्यवाद के शिकायत करना मेरे ख्याल से ज्यादती है उनके साथ। बहरहाल मेरी ओर से धन्यवाद स्वीकार करें हमेशा की तरह एक और बढिया पोस्ट के लिए।
ये बेनामी मूर्ख भी है और धूर्त भी. कवितायें पढने के बाद टिप्पणियां खोली तो इस अहमक ने सारी बेचैनी को बेमजा कर दिया. और हाँ बुक फेयर में हंगरी कवितायें वालीं दो किताबें थी. एक मैं पहले दिन ले आया था. आज आपके लिए लेने गया तो पता चला वो बिक गयी. बताया गया आउट ऑफ़ प्रिंट हो गयी है. हालाँकि ये वादा भी किया कि दफ्तर में शायद एक-दो कॉपी मिल जायें. आप अपना पता मेल कर दीजिये. किताब मिली ठीक, वरना मैं अपने वाली कॉपी भेज दूँगा. सुपात्र के पास रहेगी
अपने अज्ञान को अपना यू एस पी बनाकर धौंस की तरह इस्तेमाल करने वालों की टिप्पणियां यहां नहीं फब रहीं गीत भाई!
बढ़िया उम्दा काम है सदा की तरह!
ग्ीत जी, आप का ब्लाग देखा। बहुत सजा हुआ। सुन्दर ओैर रोचक। जापानी कविताओं से परिचित कराने का आप का प्रयास बहुत सराहनीय है। जो जापानी कविताओं की जगह हिन्दी की कविता देने की बात कर रहे हैं उनके साहित्यप्रेम का दायरा कितना छोटा और थोथा है,यह बताने की जरूरत नहीं। जो सिर्फ ब्लागों से अपनी साहित्येषणा मिटाना चाहते हैं उनसे कहना है कि वे गीत का ब्लाग क्यों पढ़ना चाहते हैं@ सस्ता साहित्य मण्डल चलाने वाले ब्लागरों की क्या कमी है?
achha laga
उत्कृष्ट चयन और बेहतरीन अनुवाद। बेनामी टिप्पणियां काले टीके की तरह हैं, लगी रहने दो ताकि कलम को नजर न लगे। किसी शायर ने लिखा है, कुफ्र कुछ चाहिए इस्लाम की रौनक के लिए। बधाई।
सही बात है अरुण जी.
इनकी यक़ीनन कोई चिंता नहीं.
रवि, दीपा, धीरेश, अशोक जी का शुक्रिया. डॉ. जैन, अनुराग, पीयूष और तुषार का भी.
धीरेश, अपनी प्रति मत भेजो. अगर अतिरिक्त मिल गई, तो भेजना. ये जेस्चर भी बहुत भला है.
फेरेन्त्स यूहाश का संग्रह अंग्रेज़ी में है मेरे पास. हालांकि रघुवीर जी का अनुवाद विलक्षण है.
गीत जी,
मुझे सिर्फ 'तोता' ही समझ आई| वो मांगती है तलाक़ , लेकिन चाहती है कि उसे रोका भी जाए| वो ठहरा तोता, उसे खुश देखने के चक्कर में, या अपनी अज्ञानता की वजह से वो वही करता है, जो वह करने को कहती है| ये भी अगर मैं सही से समझ नहीं पाया तो बताना|
दिल तक जाने वाली मौलिक सोच की कवितायेँ.सबमें प्रेम ही प्रधान है जिसे न समझा जाता है न निभाया.कभी भागते हुए आदमी की स्मृति में संजोया जाता है,कभी बारिश में भीगने पर होटल में छोड दिया जाता है.कभी उसे गेंद की तरह उछाल दिया जाता है और तोता कविता में प्रेमी सिर्फ शब्दों से प्रेम को अभिव्यक्त करने के प्रयास में उसे समाप्त कर देता है,
Post a Comment